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प्लास्टिक का उपयोग कम कीजिए और समुंदर को प्रदुषित होने से बचाइए।

आजकल बच्चे हो या बड़े, गर्मी के मौसम में सभी को समुंदर किनारे टहलना और समुंदर की लहरों के साथ खेलना बहुत अच्छा लगता है। सिर्फ अपनी मौज मस्ती के लिए है लोग वहाॅं जाते हैं, और खा पीकर पानी की खाली बोतल या नाश्ते की प्लास्टिक बैग ऐसे ही ऐसे ही समुंदर किनारे फेंक देते हैं जिसके कारण जल प्रदूषण होता है। समुंदर में रहने वाले अनेक जीवो को हानी होती है। यहाॅं तक कि उनकी जान भी चली जाती है। उन निर्दोष जानो को पता नहीं होता कि वह चीज उनके लिए हानिकारक है। खाना समझ कर वह अपने मुॅंह में डालते हैं और फिर उसके जहर से घुट कर मर जाते हैं समुद्र जो अनेक जलचर जीवों का निवास स्थान है ,जहाॅं से हमें नमक मिलता है, क्या उसकी सलामती की हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं? क्यों हम हमारी नैसर्गिक सॅंपत्ति को प्रदूषित कर रहे हैं? प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग से सबसे ज्यादा नुकसान तो मानव जाति का ही हो रहा है पर यह बात हमें अभी तक समझ में नहीं आ रही और हम अपने साथ-साथ पर्यावरण का भी नुकसान कर रहे हैं । हमें जब भी हम वहाॅं जाए तो प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना है और हमारा जो भी खाने पीने का सामान या कचरा हो, उसे यहाॅं वहाॅं

खुद की कदर करना सीखो

 हम अपने परिवार और अपने आसपास के लोगों को महत्व देते हैं, लेकिन हम अपने बारे में भूल जाते हैं, या इससे भी बदतर, हम अपने बारे में बिल्कुल नहीं सोचते हैं। जब हमें अपमान का सामना करना पड़ता है, तो हम बहुत बुरा महसूस करते हैं जिसके लिए हम ही दोषी होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम खुद को महत्व दें। हमें अपनी पसंद-नापसंद, अपने सपने, अपनी ताकत और कमियों पर विचार करना चाहिए और इन सभी चीजों पर चिंतन करने के लिए समय निकालना चाहिए। हर दिन, हमें अपने उद्देश्यों के करीब जाना चाहिए और वह करना चाहिए जो हमें अच्छा लगता है। हमें अपनी विशेषताओं के बारे में पता होना चाहिए। हमें अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने और इसे अद्यतित रखने की आवश्यकता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि कभी-कभी केवल अपने लिए जीना आवश्यक होता है।

महात्मा

आसान होता है दुनिया से लड़ना, मुश्किल होता है खुद से लड़ना। इसीलिए जो खुद को जीत लेता है, वो महावीर कहलाता है। काम क्रोध मोह माया, आसान नहीं इनसे बच पाना। भौतिक सुखों से परे होकर, भीतर की और जो झाॅंकता है। सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए, नश्वर सुखों को जो त्यागता है, वो होता है सच्चा महात्मा...! इसीलिए कहा जाता है कि, जिसने मन को साध लिया, उसने सब कुछ जीत लिया।

मन

मन है चंचल, भटकता पल पल। फिरता यहाॅं वहाॅं, मिले बसेरा जहाॅं । लक्ष्य से भटकाता कभी, काॅंटा बनकर सताता कभी। अपनों से दूर ले जाता कभी, उलझने पैदा करता ये कभी। ख्वाहिशों का है ये स्थान, जो करवाता कभी अपमान। जिसने मन को साधा, उसने पाया सम्मान। इच्छाओं पर काबू पाकर, दर्द से मुक्ति पाई उसने। अपने मन को साधकर, परम शांति पाई उसने।

LOVE IS SPECIAL

Love is special because  it is the hope of the heart Which becomes the rope  for a fresh start One has a dream,  without which life is incomplete And love supports us  to accomplish that. Love is special because  it teaches dedication Which removes our frustration. Love is special because  it makes us perfect partners With which  our bond becomes stronger We ignore vulnerabilities  And focus more on strength It brings us closer Which is our most important asset.

स्कूल जाने वाले बच्चों पर सामाजिक माध्यम का प्रभाव

स्कूल जाने वाले बच्चे सामाजिक माध्यम के  दिन ब दिन बढ़ते उपयोग के कारण आधुनिकता की दौड़ में लगे हुए हैं ।अपने संस्कार, काबिलियत, कर्तव्य इन सब को भुलाकर बस भौतिक सुख सामग्री के पीछे आकर्षित हो रहे हैं । पढ़ाई की उम्र में घूमना, खरीदारी करना, पिक्चर देखना, पार्लर जाना ये सब शौख पाल रहे हैं । उन्हें अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं। अपने माॅं-बाप के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं, बस उन्हें अपने वर्तमान के आनंद की पड़ी होती है। यह सब कुछ सिर्फ और सिर्फ सामाजिक माध्यम के बढ़ते उपयोग के कारण हो रहा है और ऊपर से ऑनलाइन क्लासेस ने उनको और खुला मैदान दे दिया। आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में ऐसी फॅंसी है कि अब तो कोई चमत्कार ही उनको बचा सकता है।

सर्दियों के मौसम की यादें

हर साल सर्दियों में हम घूमने का आयोजन करते हैं वैसे ही २०१७ में हम शिमला, कुलू, मनाली गए थे। हमारे जीवन की  वो सबसे यादगार और बेहतरीन यात्रा थी।  वहाॅं चारों और छाई प्रकृति की सुंदरता, हरियाली, ऊॅंचे ऊॅंचे पेड़, शांति और मनमोहक वातावरण ने  हमारा दिल जीत लिया था।  सर्दियों में घूमने का मजा ही कुछ और होता है । हम बहुत घूमे पर फिर भी हमें थकान नहीं लग रही थी और हमारा मन भी नहीं भर रहा था। इस सफर से मुझे बहुत कुछ सीखने मिला ।जिस शांति को हम चीजों में तराशते हैं, वो हमारे सामने है, प्रकृति के रूप में...! बस उसके साथ कुछ पल गुजारेंगे तो हमें जो असीम आनंद मिलेगा, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते...!